[Show all top banners]

fashioninstitute

More by fashioninstitute
What people are reading
Subscribers
:: Subscribe
Back to: Current Affairs Refresh page to view new replies
 चीन के 'आतंकी' ने भारत से सुरक्षा गारंटी मांगी
[VIEWED 3427 TIMES]
SAVE! for ease of future access.
Posted on 04-22-16 2:35 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

Image copyrightTwitter

चीन के वीगरों के संगठन विश्व वीगर कांग्रेस के डॉल्कन ईसा ने कहा है कि वो भारत तभी आएंगे जब उन्हें भारत सरकार से लिखित में 'सुरक्षा' की गारंटी मिलेगी.

जर्मनी के शहर म्यूनिख से फ़ोन पर उन्होंने बीबीसी को बताया, “मेरा नाम इंटरपोल की सूची में है जिससे पहले मुझे समस्याएं पेश आ चुकी हैं. भारत एक लोकतांत्रिक देश है. मुझे इस बात की चिंता नहीं कि भारत आने पर मुझे गिरफ़्तार कर लिया जाए, लेकिन मुझे लगता है कि यात्रा से पहले सुरक्षा की गारंटी दी जानी चाहिए.”

अमरीका की एक ग़ैर-सरकारी संस्था 28 अप्रैल से एक मई तक हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में चीन के विभिन्न गुटों का एक सम्मेलन आयोजित कर रही है. डॉल्कन ईसा को भी संगठन से निमंत्रण पत्र मिला है.

चीन डॉल्कन ईसा को चरमपंथी मानता है. उनके खिलाफ़ इंटरपोल का रेड नोटिस है.

डॉल्कन ईसा ने कहा, “मैं विदेश मंत्रालय और यहां भारतीय दूतावास से संपर्क कर रहा हूं. मैं उनकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रहा हूं. अगर मुझे अनुकूल जवाब मिलता है, तो मैं यात्रा करूंगा. मुझे बिना रोकटोक कहीं भी जाने की आज़ादी मिलनी चाहिए. मुझे (भारत की) सीमा में घुसने में कोई तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए.”

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, डॉल्कन ईसा की प्रस्तावित भारत यात्रा पर चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा की डॉल्कन 'चरमपंथी' हैं और उनके खिलाफ़ इंटरपोल और चीन की पुलिस का रेड नोटिस है. सभी देशों का कर्तव्य है कि उन्हें सज़ा दी जाए.

उधर खुद को 'शांतिप्रिय' बताने वाले डॉल्कन इन आरोपों से इनकार करते हैं.

उन्होंने कहा, “वीगर शांतिप्रिय लोग हैं. मैंने आज तक असली बंदूक या बम नहीं देखा लेकिन चीन मुझे आतंकवादी बुलाता है.”

डॉल्कन को भारत आने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वीज़ा मिल चुका है लेकिन वो अगले सोमवार तक अपनी प्रस्तावित भारत यात्रा पर आखिरी फ़ैसला लेंगे.

Image copyrightAP

धर्मशाला में होने वाले सम्मेलन का मक़सद चीन के विभिन्न बौद्ध, वीगर, दक्षिण मंगोलियाई, फ़ालुनगांग और अन्य धार्मिक कार्यकर्ताओं को एक मंच पर लाना है. अमरीकी आयोजक संस्था 'सिटीज़न पावर फ़ॉर चाइना' की यांग चियान ली वर्ष 1989 के तियानमन स्क्वेयर प्रदर्शनों में शामिल थीं.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने सम्मेलन पर पूछे एक सवाल के जवाब में कहा कि वह इस बारे में जानकारी जुटा रहे हैं.

चीन के सुदूर पश्चिम के शिनचियांग इलाके में प्रशासन और स्थानीय वीगर लोगों के बीच लंबे समय से मतभेद रहे हैं. कई वीगर चीन पर मानवाधिकार हनन का आरोप लगाते हैं.

इस इलाके को बीच-बीच में स्वायत्तता मिलती रही है और एक मौका ऐसा भी आया जब इसे स्वतंत्रता भी मिल गई थी लेकिन अब जिस इलाके को शिनचियांग कहा जाता है, वहां 18वीं शताब्दी से चीन का शासन था.

वर्ष 1949 में थोड़े समय तक ईस्ट तुर्किस्तान नाम के राष्ट्र की घोषणा हुई लेकिन ये स्वतंत्रता ज़्यादा वक्त तक नहीं रह पाई. बाद में शिनचियांग आधिकारिक तौर पर कम्युनिस्ट चीन का हिस्सा बन गया.

Image copyright

डॉल्कन ईसा ने कहा कि “भारत की ज़िम्मेदारी है कि वो चीन को लोकतंत्र सिखाए क्योंकि वीगर उनके पड़ोसी हैं. भारत ने इतने सालों तक तिब्बत मामले का समर्थन किया है. भारत की ज़िम्मेदारी है कि वो वीगरों के मानवाधिकारों की रक्षा करे.”

चीन और पाकिस्तान के नज़दीकी संबंधों पर डॉल्कन ईसा ने कहा, “पाकिस्तान चीन के प्रांत की तरह है. चीन में तिब्बतियों, वीगरों आदि पर अत्याचार में पाकिस्तान एक पार्टनर की तरह है. पाकिस्तान खुद को इस्लामी देश कहता है लेकिन मैं ये नहीं मानता. एक इस्लामी भाई को दूसरे की मदद करनी चाहिए थी.”

उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया कि भारत उनका इस्तेमाल चीन के खिलाफ़ कर रहा है.

डॉल्कन ईसा चीन ही नहीं बल्कि ताइवान और दक्षिण कोरिया में बहुत विवादास्पद रहे हैं. वर्ष 2009 में रिपोर्टें आई थीं कि वो चोरी-छिपे ताइवान पहुंच गए जिसके कारण ताइवान को उनकी यात्रा पर प्रतिबंध लगाना पड़ा.

Image copyright

सितंबर 2009 में दक्षिण कोरिया में दो दिन के लिए उन्हें हिरासत में लेकर बाद में छोड़ दिया गया था लेकिन उन्हें दक्षिण कोरिया में घुसने की इजाज़त नहीं दी गई.

चीन सरकार का कहना है कि डॉल्कन ईसा ईस्ट तुर्किस्तान लिबरेशन ऑर्गनाइज़ेशन के उपाध्यक्ष हैं लेकिन डॉल्कन इससे इनकार करते हैं. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार डॉल्कन वर्ष 2003 से चीन की मोस्ट वांटेड सूची में हैं.

डॉल्कन ईसा ने कहा कि पूर्वी तुर्किस्तान का राजनीतिक भविष्य लोगों के हाथ में होना चाहिए. लेकिन क्या ये मांग भारत-प्रशासित कश्मीर के अलगाववादियों की मांग जैसी नहीं? और ऐसे हालात में वो भारत से मदद की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

डॉल्कन ईसा ने कहा कि भारत-प्रशासित कश्मीर और पूर्वी तुर्किस्तान में स्थितियां अलग हैं क्योंकि “कश्मीर में लोगों को अपनी बात कहने, एकजुट होने की आज़ादी है. कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र में है. लेकिन चीन पूर्वी तुर्किस्तान में किसी भी अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप को रोक देता है.”

डॉल्कन शिनचियान में हिंसक घटनाओं के लिए चीन की गलत नीतियों को दोषी ठहराते हैं.

Image copyrightAFP

वह आरोप लगाते हैं, “चीन की सरकार मुसलमानों को मस्जिद नहीं जाने देती, रमज़ान के वक्त रोज़े पर पाबंदी होती है, पुलिस घर आकर पूछती है कि आपकी पत्नी या बेटी हिजाब क्यों पहनते हैं, इसे निकाल दीजिए. लोग अपनी बात नहीं कह सकते और इसलिए चीन की सरकार से नफ़रत करते हैं. उनके भीतर बदले की भावना आती है. तब कभी कभी चीन की पुलिस आदि पर हमले होते हैं. चीन सरकार की गलत नीति इसके लिए ज़िम्मेदार है.”



 


Please Log in! to be able to reply! If you don't have a login, please register here.

YOU CAN ALSO



IN ORDER TO POST!




Within last 7 days
Recommended Popular Threads Controvertial Threads
TPS Re-registration case still pending ..
and it begins - on Day 1 Trump will begin operations to deport millions of undocumented immigrants
Travel Document for TPS (approved)
All the Qatar ailines from Nepal canceled to USA
NOTE: The opinions here represent the opinions of the individual posters, and not of Sajha.com. It is not possible for sajha.com to monitor all the postings, since sajha.com merely seeks to provide a cyber location for discussing ideas and concerns related to Nepal and the Nepalis. Please send an email to admin@sajha.com using a valid email address if you want any posting to be considered for deletion. Your request will be handled on a one to one basis. Sajha.com is a service please don't abuse it. - Thanks.

Sajha.com Privacy Policy

Like us in Facebook!

↑ Back to Top
free counters